Arvind kejriwal resignation news: अरविंद केजरीवाल के जेल से निकलते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान करना एक बार फिर से चर्चा का विषय बन चुका है। उनका यह ऐलान कई सवालों को जन्म देता है, खासकर राजनीतिक पृष्ठभूमि और उनके जेल से छूटने के समय को देखते हुए।
लगभग 177 दिन तिहाड़ जेल में रहने के बाद Arvind kejriwal को अंततः जमानत मिल गई, जिसके बाद उन्होंने जेल से बाहर आते ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि उनका यह इस्तीफा जनता के बीच “अग्नि परीक्षा” है, जिसको देकर वह अपनी ईमानदारी साबित करना चाहते हैं। केजरीवाल का यह कदम कई प्रश्नों को जन्म देता है। जैसे-
Arvind kejriwal ने जेल में रहते हुए इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
विपक्षी पार्टियां खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), kejriwal के जेल जाने के बाद से उनसे इस्तीफे की मांग कर रही थी। विपक्षी पार्टियों का तर्क था कि भ्रष्टाचार जैसे आरोपों में जेल में रहने के बाबजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहना नैतिक रूप से गलत है। अब जब वह जेल से बाहर आ गए हैं तब इस्तीफा क्यों दिया।
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Arvind kejriwal की राजनीतिक रणनीति?
एक तरफ जहां हरियाणा में चुनाव होने वाले हैं जिसमें भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के कड़ा चुनावी मुकाबला हो सकता है ऐसे समय में Arvind kejriwal का इस्तीफा हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा दिल्ली में भी फरवरी 2025 में चुनाव होने हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर केजरीवाल ने जनता के सामने अपनी ईमानदारी का संदेश देने की कोशिश की है, जिससे वह चुनावों में सहानुभूति प्राप्त कर सकते हैं।
पार्टी और पद का संतुलन
इस्तीफा देने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आम आदमी पार्टी में दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा। इस सवाल के जवाब में केजरीवाल ने संकेत दिए हैं कि वह और मनीष सिसोदिया दोनों पद से दूर रहेंगे। इसलिए पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं जैसे गोपाल राय,आतिशी या सौरभ भारद्वाज में से किसी एक के मुख्यमंत्री बनने प्रबल संभावना है।
Kejriwal का इस्तीफा पार्टी की बड़ी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है, ताकि वह पार्टी के प्रमुख नेता बने रहें। Arvind kejriwal का इस्तीफा राजनीति की पूर्व घटनाओं से प्रेरित हो सकता है। जैसे- सोनिया गांधी ने यूपीए सरकार के दौरान अपने पद से इस्तीफा दिया था और बिना किसी सरकारी पद के पार्टी को नियंत्रित किया था
जमानत और कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की कार्रवाई पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई को अपने कार्यों का संपादन इस तरह से करना चाहिए जिसमें निष्पक्षता दिखे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा की सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता की धारणा से बाहर निकलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस प्रकार की टिप्पणी से यह अनुमान लगाया जा सकता है, कि Arvind Kejriwal की गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक मंशा होने का संदेह हो सकता है।
केजरीवाल का इस्तीफा मुख्यत: दिल्ली और हरियाणा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम हो सकता है। उनका यह कदम आगामी चुनावों के लिए पार्टी को और मजबूत करने व अपनी छवि सुधारने की दिशा में एक प्रयास हो सकता है।